तुम तन्हा तन्हा सा दिन हो
मैं हूँ इक तन्हा सी रात
बीन पुराने एहसासों को
कह वो एक मुकम्मल बात
कहीं बरस कर लौट गया हो
इक बादल का टुकड़ा जो
किसी पुराने खंडहर से
जेसे गुजरे कोई बारात
मैं हूँ प्यासी मरू भूमि सी
तुम इक सिमटे से दरिया
बिना किसी जज्बे के केसे
जांचोगे मेरे जज्बात
प्यार की गहरी झील मैं खो कर
दिल से दे दिल को आवाज
फिर जानेगा जज्बों को तू
फिर समझेगा मेरे जज़्बात
Tuesday, May 11, 2010
Monday, April 12, 2010
अपना कौन है किसे दिल अपना कहता है
वो जो दिन रात दिल को दर्द देता है
या वो जो दिल को बेकरारी और आँखों को आंसू देता है
ये दिल आखिर क्या है क्यूँ बनाया इसको
क्या दर्द सहने को जिगर में सजाया इसको
ये कमबख्त तो आंसुओं को भी प्यार का इनाम कहता है
जो सताता है इसे उसी बेरहम को प्यार करता है
ये दिल इन्सान की कमजोरी का निशान होता है
जो धड़कता तो है सीने में मगर आँखों में इसकी बेबसी का पैगाम होता है
इसके पैगाम में उस बेवफा का नाम होता है
जो देता है सौगात में दर्द और आसू इसको
ये बदकिस्मत फिर भी उसी को प्यार करता है
वो जो दिन रात दिल को दर्द देता है
या वो जो दिल को बेकरारी और आँखों को आंसू देता है
ये दिल आखिर क्या है क्यूँ बनाया इसको
क्या दर्द सहने को जिगर में सजाया इसको
ये कमबख्त तो आंसुओं को भी प्यार का इनाम कहता है
जो सताता है इसे उसी बेरहम को प्यार करता है
ये दिल इन्सान की कमजोरी का निशान होता है
जो धड़कता तो है सीने में मगर आँखों में इसकी बेबसी का पैगाम होता है
इसके पैगाम में उस बेवफा का नाम होता है
जो देता है सौगात में दर्द और आसू इसको
ये बदकिस्मत फिर भी उसी को प्यार करता है
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