Monday, April 12, 2010

अपना कौन है किसे दिल अपना कहता है

वो जो दिन रात दिल को दर्द देता है

या वो जो दिल को बेकरारी और आँखों को आंसू देता है

ये दिल आखिर क्या है क्यूँ बनाया इसको

क्या दर्द सहने को जिगर में सजाया इसको

ये कमबख्त तो आंसुओं को भी प्यार का इनाम कहता है

जो सताता है इसे उसी बेरहम को प्यार करता है

ये दिल इन्सान की कमजोरी का निशान होता है

जो धड़कता तो है सीने में मगर आँखों में इसकी बेबसी का पैगाम होता है

इसके पैगाम में उस बेवफा का नाम होता है

जो देता है सौगात में दर्द और आसू इसको

ये बदकिस्मत फिर भी उसी को प्यार करता है