तुम तन्हा तन्हा सा दिन हो
मैं हूँ इक तन्हा सी रात
बीन पुराने एहसासों को
कह वो एक मुकम्मल बात
कहीं बरस कर लौट गया हो
इक बादल का टुकड़ा जो
किसी पुराने खंडहर से
जेसे गुजरे कोई बारात
मैं हूँ प्यासी मरू भूमि सी
तुम इक सिमटे से दरिया
बिना किसी जज्बे के केसे
जांचोगे मेरे जज्बात
प्यार की गहरी झील मैं खो कर
दिल से दे दिल को आवाज
फिर जानेगा जज्बों को तू
फिर समझेगा मेरे जज़्बात
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
bahut...
ReplyDeletebahut.....
bahut........
khoob......jyoti..
dobaaraa aate hain....
ReplyDelete